न करना कभी मेरी मोहब्बत पर शक ए-सनम,
हमने तुमसे सुबह की चाय सा इश्क किया है,
जिसके न मिलने पर दिन अधूरा सा लगने लगता है।
चाय की चुस्की के साथ अक्सर कुछ गम भी पीता हूं,
मिठास कम है जिंदगी में मगर जिंदादिली से जीता।
न चाय पूछुंगा, न कॉफी,
तमन्ना हो गई है तुम्हें लेने की,
सीधे पूछ रहा हूँ- दे देना मुझे माफी।
सुबह की चाय और खास बन जाए,
जब किसी दिन इसमें,
तुम्हारा साथ मिल जाए।
लहज़ा ज़रा ठंडा रखे जनाब,
गरम तो हमें सिर्फ चाय पसंद है,
मेरे हाथ की चाय।
Aayy hayy, Aayy hayy.